अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुह, मैं मोहम्मद सरफराज नशतर आपका वेलकम करता हूं। सलाम का जवाब आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं, इससे आप सवाब आपका हकदार होंगे।
आप हाजरात को, अल्लाह से दुआ मांगने का सही और सबसे आसान तरीका बताऊंगा, जिसे आप तुरंत अमल में ला पाएंगे।
दुआ मांगने का सही तरीका
पहले ध्यान से पहले पढ़ लें! अगर समझने में कोई परेशानी हो तो आप मुझे कमेंट भी कर सकते हैं। उसके बाद अमल में लाएं।
इंशाल्लाह आपकी दुआ जरूर कबूल होगी, आगे पढ़िए!
दुआ मांगने के आदाब
अल्लाह से दुआ मांगने का तरीका एक ख़ास और अहम अमल है। सबसे पहले वुजू करें, क्योंकि वुजू की हालत में दुआ मांगी जाती है, वह ज़्यादा कुबूल होती है। जब वुजू हो जाए, तो क़िबला (काबा शरीफ यानी पश्चिम) की तरफ़ मुंह करके बैठें।
बैठने का तरीका भी ख़ास है—जैसे हम नमाज़ के दौरान अत्तहीयात की हालत में बैठते हैं, वैसे ही दुआ के लिए भी बैठें। पालथी मारकर बैठने से बचें, क्योंकि यह बेअदबी मानी जाती है।
हालांकि, अगर मजबूरी हो तो बैठ सकते हैं, मगर सच्ची तवज्जो इस बात पर होनी चाहिए कि अल्लाह के सामने हमारी आदाब बरकरार रहे।
दुरूद शरीफ़ पढ़ना सबसे अफज़ल
सबसे पहले, दुआ में दुरूद शरीफ़ पढ़ना सबसे अफज़ल है। हदीस में आता है कि जो दुआ दुरूद के बिना मांगी जाती है, वह ज़मीन और आसमान के बीच लटकती रहती है, और अल्लाह तक नहीं पहुंचती।
इसीलिए दुआ की शुरुआत दुरूद से करें, ताकि आपकी दुआ कुबूल हो।
दरुदे इब्राहिम |
اللّٰهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ، وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ، كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيْمَ، وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيْمَ، إِنَّكَ حَمِيْدٌ مَجِيْدٌ،اللّٰهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ وَّعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ، كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيْمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيْمَ، إِنَّكَ حَمِيْدٌ مَجِيْدٌ |
अल्लाहुम्मा सल्लि ‘अला मुहम्मदीन व’ अला’ आलि मुहम्मदीन,कमा सल्लयता ‘अला’ इब्राहीमा व ‘अला’ आली ‘इब्राहीमा,’ इन्नका हमीदुम मजीद।
अल्लाहुम्मा बारिक ‘अला मुहम्मदीन व’ अला ‘आलि मुहम्मदीन, कमा बारकता’ अला ‘इब्राहीमा व’ अला’ आली ‘इब्राहीमा,’ इन्नाका हमीदुम मजीद। |
रब्बना आतिना फिद्दुन्या पढ़ें
अब, जब दोनों हाथ उठा लें, तो दुरूद शरीफ़ के बाद, रब्बना आतिना फिद्दुन्या पढ़ें, और फिर अपने दिल से अल्लाह की अज़मत और कुदरत का एहसास करें।
अल्लाह की तारीफ़ में ख़ूबसूरत और उर्दू के अच्छे कलिमात बोलें, ताकि आपकी दुआ में गहराई और असर हो।
रब्बना आतिना फिद्दुन्या |
رَبَّنَآ ءَاتِنَا فِى ٱلدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِى ٱلْءَاخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ ٱلنَّارِ |
रब्बना आतिना फिद्दुन्या हसनातौं व फिल आखिरती हसनतौं वकिना अजाबन नार। |
अजम और अस्मा-ए-हुस्ना
इसके बाद, अजम और अस्मा-ए-हुस्ना में से एक या दो नाम पढ़ें। हदीस में आता है कि इन अस्मा को पढ़ने के बाद जो भी दुआ मांगी जाती है, वह खारिज़ नहीं होती। इन नामों की तस्बीह में एक अद्भुत ताकत है, जो दुआ को अल्लाह के दरबार तक पहुंचा देती है।
दुआ में अज़म और अस्मा-ए-हुस्ना का इस्तिमाल कैसे करें? |
दुआ करते वक्त सबसे पहले अपने दिल से अल्लाह की उज़म का एहसास करें, फिर दुआ की शुरुआत में दुरूद शरीफ़ पढ़ें। इसके बाद, अस्मा-ए-हुस्ना में से कुछ नाम पढ़ें। जैसे:
आप जितने नाम पढ़ सकते हैं, उतने पढ़ें, लेकिन ये नाम ऐसे पढ़ें जैसे आप अल्लाह की असीम क़ुदरत और जालाल का इज़हार कर रहे हों। फिर अपनी ज़रूरतों और ख्वाहिशों को अल्लाह के सामने पेश करें, क्योंकि हदीस में आता है कि जो इंसान अस्मा-ए-हुस्ना के साथ दुआ करता है, उसकी दुआ कभी भी रद्द नहीं होती है। |
दिल की बात अल्लाह से करें
अब, जब आपने अपने दिल की बात अल्लाह से कर ली, तो अपनी ज़रूरतों और ख्वाहिशों को अल्लाह के सामने रखें। आप सबसे बड़े रहम करने वाले के सामने खड़े हैं, तो आपकी दुआ को कुबूल होने में देर नहीं लगेगी।
याद रखें, यह वक्त सिर्फ आपकी रूहानी सफाई का नहीं, बल्कि अल्लाह के करीब जाने का है।
बस, यही तरीका है जो हमें इबादत में ध्यान और तवज्जो के साथ अपनाना चाहिए। पांचो वक्त के नमाज का पाबंद बने और कोशिश करें कि हर वक्त समय पर नमाज़ पढ़े।
Conclusion Points
आप हाजिरीन से उम्मीद करता हूं कि, अब आपको दुआ मांगने का तरीका आसान लग रहा होगा। इसको अमल में लाएं, आपकी दुआ जरूर अल्लाह की बरगाह में कबूल होगी।
जब अल्लाह से बात करें तो माफी जरूर मांगे, सिर्फ अपने लिए नहीं अपनी पूरी कौम और उम्मत के लिए मांगे। इसी तरह सिर्फ अपने लिए ही नहीं अपने मां-बाप के लिए ही नहीं पूरी उम्मत के लिए मांगे।
इससे दुआ आपकी कबूल होने के चांसेस बहुत ज्यादा होंगे। अल्लाह ताला आपकी दुआ को हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सतककई तुफैल में कबूल करें।